खोलूँ राज तो खुदगर्ज कहलाऊंगा ना खोलूँ तो घुट- घुट मर जाऊंगा ।। खोलूँ राज तो खुदगर्ज कहलाऊंगा ना खोलूँ तो घुट- घुट मर जाऊंगा ।।
कुछ अपना, कुछ उसका छोटे-बड़े सपने साकार कर सकूँ, पा के साथ जिंदगी में उसका एक छोटा सा संसार बसा सक... कुछ अपना, कुछ उसका छोटे-बड़े सपने साकार कर सकूँ, पा के साथ जिंदगी में उसका एक ...
घर में गम के ठिकाने होने लगे। घर में गम के ठिकाने होने लगे।
कभी फोन लगता नहीं कभी कोई दूसरे कॉल पर व्यस्त होता है कभी फोन लगता नहीं कभी कोई दूसरे कॉल पर व्यस्त होता है
इतने दर्द सह कर भी कहो तो कैसे मुस्करा लेते हो तुम। इतने दर्द सह कर भी कहो तो कैसे मुस्करा लेते हो तुम।